अकेलापन समेटकर मुस्कराहट बिखेरती Amelie

Amelie movie

Last Updated on: 4th July 2025, 03:13 pm

एमिली (Amelie movie) अकेलेपन से जूझती एक लड़की है जो अपनी दुनिया को परी-कथाओं सा बनाकर अपने अकेलेपन का हल खोज रही है। एक सनकी से मां-बाप की लड़की जिन्हें लगता है कि उनकी बेटी को दिल की बीमारी है, इसलिये उसके बचपन भर में उसे घर से बाहर जाने की मनाही रही। यहां तक कि उसकी पढ़ाई भी घर मे ही हुई है। एक दुर्घटना में मां की मौत के बाद वो घर छोड़ देती है और एक कैफ़े में काम करना शुरु करती है।

छोटी छोटी कल्पनाओं में बड़ी-बड़ी उड़ान लगाती एमिली (Power of Imagination in Amelie Movie)

एक सीधी-साधी सी दिखने वाली, कम बोलने वाली और अपनी कल्पनाओं की दुनिया में रहकर यथार्थ के हल खोज लाने वाली एक जादूगरनी सी लड़की जिसका जादू किसी चमत्कार सा नहीं है। वो जादू शायद अच्छी भावनाओं का जादू है। दूसरों के लिये अच्छा सोच पाना भी किसी जादू से कम कहां होता है। एमिली छोटी-छोटी चीज़ों और अपनी कल्पना की बड़ी-बड़ी उड़ान में खुशियां ढ़ूंढ़ने वाली लड़की है।

एमिली दरअसल खुद एक अलग दुनिया ही है जिसकी सैर कर आने बाद बहुत हल्का सा महसूस होता है। जैसे बारिश के बाद किसी तार पर लटकी आंखिरी बूंद को देखते रहने पर लगता है या फिर तेज़ हवा के थम जाने के बाद किसी फूल की पंखुड़ी को हवा में उड़ता हुआ देखकर।

एक दिन टीवी पर प्रिंस ऑफ वेल्स, डाइना की मौत की खबर सुनकर ऐमिली के हाथ में रखी परफ़्यूम की बोतल फर्श पर गिरती है और बाथरुम की दीवार पर ढ़ीली हो गई एक टाइल नीचे गिरती है। उस टाइल के अन्दर एक छेद है जिसमें एमिली को एक डब्बा मिलता है। इस डब्बे के अन्दर किसी के बचपन की यादें अलग-अलग चीज़ों के रुप में सहेजी हुई हैं।

एमिली (Amelie Movie) को जैसे इस डब्बे के भीतर रखी इन चीजों के बीच ही कहीं अपने लिये एक मकसद मिल जाता है। वो फ़ैसला करती है कि उस लड़के को ढूंढ़ेगी जिसने दशकों पहले ये डब्बा इस दीवार के पीछे छुपाया होगा और अगर इस डब्बे को पाकर उसे खुशी हुई तो वो ऐसे ही लोगों की खुशी उन्हें लौटाती रहेगी।

उस लड़के के बारे में पूछते हुए एमिली कई लोगों से मिलती है। उन लोगों में एक अधेड़ उम्र की महिला है जिसका पति उसे छोड़कर चला गया, एक बूढ़ा पेंटर है जो अगस्ट रिनाॅयर की एक पेंटिंग को दोहराने की कई बार कोशिश कर चुका है, एक चेहरा है जिसे ठीक से बनाने में वो हर बार असफल होता है, उसकी कोशिशें जारी हैं।

वो बताता है कि ब्रूटोडो नाम का एक शख्स ऐमिली के अपार्टमेंट में रहा करता था। एमिली उस डब्बे को एक सरप्राइज़ की तरह उस आदमी के पास पहुंचा देती है। उस डब्बे को देखकर उस आदमी की आंखों में आंसू हैं। कई बार छोटी-छोटी बेजान चीज़ों में यादों को खज़ाना मिल जाता है। एमिली अपने पहले मिशन में कामयाब हो जाती है।

 

छोटे से पलों और छोटी सी दुनिया में घटती चीज़ों की कमेंट्री

इस घटना से हुई जादुई अनुभूति के बाद एमिली कभी न देख पाने वाले आदमी को सड़क पार कराती है और उस छोटे से पल में उसके चारों ओर की छोटी सी दुनिया में घट रही चीज़ों कमेंट्री करके सुनाती है और आगे बढ़ जाती है। कभी अपने कैफ़े में आने वाले रेगुलर कस्टमर और कैफ़े में काम करने वाली अधेड़ उम्र के सहकर्मी को रिश्तों में बांधती है और दूर से उन्हें खुश होता हुआ देखकर संतुष्ट होती है।

कभी अपनी ही बिल्डिंग में रहले वाली मिसेज़ वेल्स को एक खत भेजकर उसे इस बात से सांत्वना देती है कि उसका पति मरने से पहले ये खत उसके लिये छोड़कर गया था जिसमें लिखा है कि वो उससे प्यार करता है।

पेंटर मिस्टर दुफैल ग्लास को पकड़ी हुई जिस लड़की की तस्वीर को बार-बार बनाने के बाद भी सही नहीं बना पाते उस लड़की का अक्स उन्हें एमिली में नज़र आता है। वो एमिली और निनो नाम के एक लड़के के बीच पनप रहे आकर्षण को भी भांप जाते हैं।

निनो नाम का ये लड़का एक फ़ोटो बूथ से अजनबियों के पासपोर्ट साइज़ फ़ोटोग्राफ़ अपनी एलबम में जमा करता है। एमिली (Amelie Movie) इस लड़के पहले मिल चुकी है वो जब इससे दुबारा मिलती है तो उसे अहसास होता है कि वो उससे प्यार करने लगी है। पर वो उससे सीधे इस बात को कहने में झिझकती है इसलिये वो खुद कुछ कहती नहीं।

उसके साथ काम करने वाली उसकी सहकर्मी उसकी मदद करने के लिये निनो से मेल-जोल बढ़ाती है तो एमिली को गलतफ़हमी होती है और उसका दिल टूट जाता है। आखिरकार निनो और वो मिलते हैं और एमिली और निनो के बीच के रुमानी लमहों के बीच छोड़कर फ़िल्म एक किनारे से जैसे निकल जाती है।

 

फ़िल्म के ट्रीटमेंट बुना गया जादुई यथार्थवाद

एमिली (Amilie Movie) को जादुई यथार्थवाद के नज़दीक की फ़िल्म माना जाता है। फ़िल्म में शुरुआती नरेशन से लेकर पूरी फ़िल्म के ट्रीटमेंट की अपनी एक अलग भाषा है। कैमरा जिस तरह से मूव करता है, कहीं भागता, कहीं थमता, कहीं रुक सा जाता वो फिल्म देखते हुए एक अलग दुनिया में ले जाने सा अहसास देता है बावजूद इसके कि ऐसा कुछ अलौकिक स्क्रीन पे नहीं घट रहा होता।

एमिली अन्तर्मुखी है, शर्माती है, पूरी फिल्म में वो बहुत कम बोलती है और ज़्यादातर मुस्कुराहट की भाषा में बात करती है। उसकी आंखों में आंसू होते हैं तो बुरा लगता है क्योंकि वो एक ऐसा किरदार है जो दूसरे के होंठों में हंसी लाने की कोशिश करता है और उस कोशिश में हमेशा खुद पर्दे के पीछे रहना चाहता है।

जीन पियरे जुनेट ( Jean-Pierre Jeunet) का निर्देशन और लेखन दोनों ही कमाल के हैं। एमिली के रुप में आर्देय तौतो ( Audrey Tautou) का किरदार फ़िल्म देखे लेने के बहुत देर बाद तक आपके साथ रहता है। उसके चारों ओर की दुनिया और अनौखे किरदार भी आपको काफ़ी देर तक अपने आस-पास घूमते से नज़र आते हैं। एमिली अकेलेपन को भी खुशी-खुशी खूबसूरती से जी पाने का हौसला देने वाली एक फ़िल्म है।

 

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