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Author: Umesh Pant

उमेश पंत जाने माने हिंदी लेखक और ट्रैवल जर्नलिस्ट हैं। उनकी लिखी यात्रा वृत्तांत आधारित पुस्तकें खासी लोकप्रिय हैं। फ़िल्मों में उनकी गहरी रुचि है। वो फ़िल्मालय के संस्थापक-संपादक हैं, साथ ही अपनी और अन्य यात्रियों की यात्राओं को दर्ज करने के लिए यात्राकार नाम से पोर्टल का भी संपादन करते हैं।
शुरुआत ‘मासिक धर्म’की या गुलामी की –  Salma Documentary film
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म

शुरुआत ‘मासिक धर्म’की या गुलामी की – Salma Documentary film

सलमा (Salma Documentary film) संयोगवश उस दिन देखी जिस दिन महिला दिवस का दिन भी था। रात के तकरीबन दस…

byUmesh Pant
Ship of theseus : पुर्जों से बने शरीर के अंदर कुछ और तलाशती एक फिल्म
इंडियन मूवीज़

Ship of theseus : पुर्जों से बने शरीर के अंदर कुछ और तलाशती एक फिल्म

शिप ऑफ थीसियस फ़िल्म (Ship of theseus) देखी तो सोचा कि एक शहर के रुप में मुम्बई की आईरनी यही…

byUmesh Pant
कहीं आप भी नीरो के मेहमान तो नहीं हैं
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म

कहीं आप भी नीरो के मेहमान तो नहीं हैं

रोम में एक शासक हुआ करता था- नीरो। एक ऐसा शासक जिसके शासनकाल में लगी आग की लपटें आज तक…

byUmesh Pant
इंडियन मूवीज़

जल्द ही गाँव पर फिल्म बनाउंगा : दीपक डोबरियाल

 मूलतः गाँव कनेक्शन के लिए लिए गए इस साक्षात्कार को यहां भी पढ़ा जा सकता है.  भारतीय सिनेमा में गाँव…

byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवल

आंखिरी लमहों में मुम्बई फिल्म फेस्टिवल

मुम्बई फिल्म फेस्टिवल के छटे दिन फेसबुक पर फेस्टिवल के पेज से जानकारी मिली कि मुम्बई डाईमेन्शन कैटेगरी के अन्दर आने…

byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवल

मुंबई फिल्म फेस्टिवल : पांचवा दिन

 पांच दिनों से मुम्बई के पांच अलग अलग थियेटरों का पीछा किया है। हर थियेटर जैसे एक ट्रेन सा हो…

byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवल

मुंबई फिल्म फेस्टिवल- चौथा दिन

एक और दिन मुम्बई फिल्म फेस्टिवल (Mumbai film festival) के नाम रहा। शुरुआत खराब थी। इतवार की सुबह सुबह सायान…

byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवल

मुम्बई फिल्म फेस्टिवल- दूसरा और तीसरा दिन

सुबह सुबह नीद खुली तो देर हो चुकी थी। साढ़े नौ बज चुके थे। रात को सोते वक्त सोचा था…

byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवल

MAMI DIARY-1 : फिर आया मुंबई फिल्म फेस्टिवल

एक जलसा मुम्बई में दस्तक देने वाला है। इस जलसे की उत्सवधर्मिता का स्वरूप बिल्कुल अलहदा है। इस जलसे में…

byUmesh Pant
Barfi movie – बर्फी के साथ- ‘चल भटक ले ना बांवरे’
इंडियन मूवीज़

Barfi movie – बर्फी के साथ- ‘चल भटक ले ना बांवरे’

बर्फी (Barfi Movie review) एक कविता सी फ़िल्म है जो परदे से गुजरती आपके दिल में घट जाती है। आपके…

byUmesh Pant

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फिल्मालय क्या है?

फिल्मालय उमेश पंत का ब्लॉग है जो सिनेमा और अन्य दृश्य माध्यमों के लिए उनके पैशन का नतीजा है। यहाँ आप देश, विदेश की फ़िल्मों, शॉर्ट फ़िल्म, डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म और सीरीज़ आदि के बारे में पढ़ सकते हैं।  उनकी समीक्षा और विस्तृत टिप्पणी यहाँ आपको पढ़ने को मिलेगी। आइए फ़िल्मों के इस आशियाने में आपका स्वागत है।

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