Last Updated on: 4th July 2025, 01:55 pm
Benh Zeitlin द्वारा निर्देशित, Beasts of the southern wild एक ऐसी बच्ची (Quvenzhane Wallis ) की मार्मिक कहानी है जिसका ख़ुद पर और जीवन की अच्छाइयों पर पर बेइंतहा भरोसा है। समुद्र के किसी बिसराये हुए कोने में जहां छोड़ दी गई, बरबाद हो गई चीज़ें पड़ी हुई हैं वहां कुछ लोग हैं जो उस बिखराहट में अपना जीवन समेटे हुए हैं।
उन्हीं में एक हैं विंक (Dwight Henry) की बेटी हशपपी। हशपपी 6 साल की बच्ची है जिसे अपनी मां का इन्तजार है। जिसे विंक ने बताया है उसकी मां कहीं गायब हो गई है। हशपपी उस झूठे इन्तज़ार को जी रही है। उस इन्तज़ार के इर्द-गिर्द उसकी अपनी रची एक बालसुलभ दार्शनिक दुनिया है।
एक आने वाला तूफ़ान जिसमें सबकुछ ख़त्म होने वाला है
हशपपी का उसके चारों ओर की प्रकृति से खास लगाव है। उन सुंअरों से जिन्हें वो खाना खिलाती है, उन मछलियों से जिन्हें वो दाना देती है। उसकी अपनी गढ़ी हुई दुनिया में इस लगाव के भले ही मायने हों पर उस असल दुनिया में जहां वो रह रही है, वो अभावों की दुनियां है। वहां लगाव एक क्षणिक अवधारणा है। उस समुद्री छोर पर एक तूफान आने वाला है। एक खतरनाक तूफान। जिसके आने के बाद सबकुछ तहस-नहस हो जाएगा। वो जगह और उस जगह पर सिमटा हुआ जीवन भी।
विंक हशपपी को उस अभाव को जीने और उन खतरों से जूझने के सबक देना चाहता है। वो उसे बताता है कि मछली को कैसे पकड़ा और फिर कैसे मारकर खाया जाता है। तूफान के आने पर कैसे उसे उस टूटे हुए जहाज में बैठे रहना है और जब पानी का स्तर बहुत बढ़ जाएगा तो कैसे वो जहाज़ जो अभी किनारे पर है पानी में खुदबखुद तैरने लगेगा।
विंक टूटे हुए जहाज की तरह ही टूटे हुए दिलासों की नाव को हशपपनी के मन की शान्त नदी में खेना चाहता है। वो बीमार है और उसे एक दिन मर जाना है। वो दिन जल्द ही आयेगा और तब हशपपी को अकेले ही इस क्रूर और अभावों वाली दुनिया में अपना अस्तित्व बचाये रखने की लड़ाई लड़नी होगी।
हर कोई उन चीजों को खो देता है जिसने उन्हें बनाया है
पर हशपपी की दुनिया अभी बहुत मासूम है। उसके लिये घटनाओं और भावनाओं के अर्थ बहुत शाब्दिक है। चीजों को वो अपनी नज़र से देखती है।
उसकी समस्याओं को देखने और उनके समाधान करने के अपने ही ईजाद किये तरीके है। मसलन एक बार वो गुस्से में अपने ही घर को आग लगा देती है और खुद एक बाॅक्स के पीछे छुप जाती है ये सोचकर कि जब तक आग की लपटें उसे नहीं देख सकती तब तक वो सुरक्षित है।
मसलन एक बार वो गुस्से से अपने पिता से कहती है कि तुम मर जाओ और तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारी कब्र पर बैठकर मैं अकेले ही बर्थडे केक खा लूंगी।
हशपपी का मानसिक संसार बहुत बड़ा है। वो उस भाषा के बारे में सोचती है जो उसे समझ नहीं आती। पंछियों और पशुओं को सुनते हुए वो सोचती है कि वो ज़्यादातर वक्त ये कहते है कि उन्हें भूख लगी है लेकिन कभी-कभी वो कोड में बात करते हैं। उन कोड को समझने की ललक ही हशपपी को विंक और उसके दोस्तों से अलग बनाती है।
हशपपी को लगता है कि हर कोई उन चीजों को खो देता है जिसने उन्हें बनाया है। प्रकृति में ऐसा ही होना चाहिये। बहादुर लोग ठहरकर ऐसा होते हुए देखते हैं, वो इससे भागते नहीं।
मुश्किल जीवन के समाधान खोजने की चाभी देगी यह फ़िल्म
हशपपी ठहरकर धीरे धीरे अपने पिता को मरते हुए देख रही है। उस दुनिया को उजड़ते हुए देख रही है जिसके इर्द-गिर्द उसका सारा जीवन टिका है। एक खतरनाक तूफान के आने का इन्तजार कर रही है जिसके बाद कुछ भी बचा नहीं रह सकेगा।
वो अपनी कल्पनाओं में लगातार उन दैत्याकार जानवरों को अपनी ओर आता देखती है जिनका मकसद केवल विध्वंश है। एक दृश्य में वो जानवर उसके एकदम करीब आ जाते हैं, विंक ऐसा होते हुए देख रहा है।
लेकिन वो ये देखकर आश्चर्यचकित है कि वो जानवर हशपपी के बिल्कुल करीब आकर हशपपी को उनके सामने सीना तानकर खड़ा पाते हैं और झुक जाते हैं। वो पहले उसके सामने नत होते हैं फिर लौट जाते हैं।
हशपपी का खुद पर और जीवन की अच्छाईयों पर एक गहरा और अटूट भरोसा है। ये भरोसा उसकी अपनी बनाई दुनिया से जुटाये आत्वविश्वास से आता है। हशपपी मानती है कि पूरी दुनिया का अस्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि हर जीज़ अपनी अपनी जगह पर सही तरीके से फिट हो।
यदि इनमें किसी एक भी चीज़ यहां तक कि सबसे छोटी चीज़ में विध्वंश होता है तो पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी। वो खुद को इस बड़े संसार का वही छोटा पर ज़रुरी हिस्सा मानती है। यही कारण है कि वो उजड़ी हुई अभावों की दुनिया हशपपपी को दुनिया की सबसे सुन्दर जगह लगती है।
हशपपी के रूप में Quvenzhane Wallis की शानदार आदाकारी फिल्म को किसी दूसरे ही आयाम पर ले जाती है.. फिल्म के संवाद किसी अच्छी किताब को पढने सा अनुभव भी साथ साथ देते रहते हैं. जीवन जब मुश्किल लग रहा हो और आप उन मुश्किलों के समाधान खोजना चाहते हों तो इस फिल्म को एक बार ज़रूर देखें.
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