Finding Fanny movie : अधूरी होकर भी मुकम्मल दुनिया

Last Updated on: 30th June 2025, 01:06 pm

फ़ाइन्डिंग फ़ैनी (Finding Fanny movie) इस स्वार्थी और व्यस्त होती जा रही दुनिया में एक ऐसी जगह की खोज की कहानी है जहां सबसे सबको मतलब होता है। या फिर ये कि स्वार्थी और व्यस्त जैसे बड़े और गम्भीर लफ्ज़ों से उपजने वाले भावों को किसी पुरानी जंग लगी कार में बिठाकर रोजी की उस उस मरी हुई बिल्ली के साथ दफना आने की कहानी है फ़ाइन्डिंग फ़ैनी।

क्या है फ़ाइंडिंग फ़ैनी की कहानी

रात के वक्त एक अकेले से घर में रह रहे फर्डी को एक खत आता है। खत देखकर फर्डी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है। उसकी पड़ौसी और सबसे अच्छी दोस्त एंजी उसे चुप कराती है। ये खत दरअसल 46 साल पहले फर्डी ने उस लड़की फैनी को भेजा है जिससे उसने बेइन्तहां प्यार किया और अपनी बाकी की जिन्दगी वो उस इन्तज़ार की नाव को अपनी उम्र की सूखी नदी में खेता रहा, उस पानी के इन्तजार में जो कभी बहकर नहीं आएगा।

पर फर्डी की जिन्दगी में एक एंजी भी तो है जो फर्डी के उस मासूम प्यार की कोमल भावना को अच्छे से समझती है और फर्डी को एक और कोशिश करके देखने का हौसला देती है। क्योंकि वो मानती है कि कोई लव स्टोरी अधूरी नहीं रहनी चाहिये।

फिल्म आगे बढ़ती है और आप एक ऐसी दुनिया का हिस्सा हो जाते हैं जहां सब अधूरे हैं। गोआ के पास पोकोलिम नाम की उस छोटी सी काल्पनिक जगह की रानी अधेड़ उम्र की रोज़लिन यानि रोज़ी (डिम्पल कपाडि़या), आर्टिस्ट ब्लाॅक से जूझ रहा एक मशहूर पेन्टर डाॅन पेद्रो (पंकज कपूर), अपने ही भेजे खत के इन्तजार में बैठा एक पोस्टमास्टर फर्डी (नसीरुददीन शाह) और सावियो (अर्जुन कपूर) भी जिसने उम्र भर एंजी से प्यार किया पर कभी कह नहीं पाया। उन पांचों के अन्दर का अधूरापन उस छोटी सी दुनिया में एक दूसरे को पूरा करने का एक मात्र ज़रिया है।

फ़ैनी की खोज के बहाने एक रोचक सफर

फ़ैनी क्या है ? कौन है ? उससे कई ज्यादा अहम उस खोज के बहाने शुरु हुआ वो सफर है जिसके पांचों के लिये अलग-अलग मायने हैं। सावियो इस यात्रा में अपनी उस दोस्त से नज़दीकियों की सम्भावना तलाश रहा है जिससे वो कभी अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाया। क्योंकि एंजी ने उसके उस दोस्त से शादी कर ली जो शादी के दिन ही जिन्दगी नाम की उस यात्रा में कहीं पीछे छूट गया।

सावियो का ईगो उसे उस छोटी सी दुनिया से दूर मुम्बई ले आया  और अब जब वो लौटा भी है तो वहीं ईगो फिर उसके कदम पीछे खींच रहा है। ये ईगो भी ना। दुनिया की सबसे गैरज़रुरी चीज़ है जिसे हम अपने सबसे करीब रखते हैं और अपनों से दूरियां बढ़ा लेते हैं।

एंजी का मकसद उसके सबसे अच्छे उम्रदराज दोस्त फर्डी को उसकी प्रेमिका से मिलाना है और इस बहाने सावियो के नज़दीक भी आना है। उसे शायद एक सबक भी देना है और उन 6 सालों की वो कसर भी पूरी करनी है जिनमें चाहकर भी उसका शरीर उस सुख से वंचित रहा जिसकी उम्र के इस पड़ाव में शायद सबसे ज्यादा ज़रुरत होती है।

डाॅन पैद्रो, रोजी के भीतर की उस रुह को देखने के लिये बेताब है जिसने उसके अन्दर के कलाकार को कसमसा कर रख दिया है। उसकी दैहिक भाषा दरअसल उस कुंठा का परिणाम है जो अधूरी रह गई इच्छाओं से उपजती है। पेद्रो के भीतर का कलाकार उन इच्छाओं का दमन नहीं कर पा रहा। उसकी बातों, उसके हाव भावों और रोजी के शरीर पर उसके अनैच्छिक स्पर्शों में एक कुलबुलाती सी बेताबी है।

वो बेताबी जो अधूरेपन से आती है। किसी को पूरा जान लेना उस बेताबी को खत्म कर देता है। यात्रा में अंतिम पड़ाव में रोजी की पेन्टिंग बनाने के बाद पेैद्रो जब उसे पूरा जान लेता है तो कैनवस पर उतरी रोजी की रुह के ज़रिये वो बेताबी भी अपनी मौत मर जाती है।

फर्डी एक खूबसूरत दिल का बूढ़ा सा बच्चा है। वो दिल जिसमें हिचक है, अपनापन है, वक्त-वक्त पर थैंक्यू स्पीच देने की ताब है, और उम्रभर सहेजकर रखा वो अधूरा प्यार भी है जो अब तक एकदम साफ-सुधरा है। इन्तज़ार के झोले में इतना महफूज कि उस पर वक्त की कोई धूल कभी जम ही नहीं पाई।

फर्डी रात के अंधेरे से डरता है, रोजी की बिल्ली से डरता है, फैनी की ना से डरता है पर जिन्दगी भर प्यार के इन्तजार में बैठे रहने का जो सबसे बड़ा डर पूरी दुनिया को डराता है उससे नहीं डरता। पूरी मासूमियत से पुरज़ोर और पाकीज़ा प्यार करने से नहीं डरता फर्डी।

फ़ाइंडिंग फ़ैनी छोटी-छोटी भावनाओं की कहानी है

फ़ाइन्डिंग फ़ैनी (finding fanny movie) में कोई बहुत उम्दा कहानी तलाशने के लिये जाएंगे तो निराश होंगे। बड़े ट्विस्ट ढंढ़़ू़ते फिरेंगे तो भी नहीं खाली हाथ ही लौटेंगे। किसी दिल दहला देने वाले क्लाइमेक्स को खोजेंगे तो कुछ हाथ नहीं लगेगा। पर आप अगर उन किरदारों को और उस सफर को समझने की कोशिश भर करेंगे तो फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।

छोटी-छोटी भावनाएं जिन्हें अक्सर हम अपनी जिन्दगी में दरकिनार कर आते हैं फिल्म उन्हीं भावनाओं को खोजती-फिरती है। अगर आप उस खोज में ज़रा भी रुचि रखते हैं तो आपको मज़ा आएगा वरना ये फिल्म आपके लिये है ही नहीं। ये फिल्म न अच्छी है न बुरी। ये उस एकतरफा प्यार की तरह है जिसमें मिले अच्छे-बुरे हर तरह के अनुभव आप कभी भुला नहीं पाते।

अनिल मेहता की आंखें गोआ के इर्द गिर्द हरे खेतों के बीच पतली सी सड़कों पर खूबसूरती से घूमते हुए कैमरे में जैसे सुकून कैद कर लेती हैं। फुरसत एक-एक फ्रेम से किसी पत्ती पर बची रह गई आंखिरी बूंद की तरह टपकती है और आप उसे अपनी नज़रों में एकदम हौले-हौले समा लेना चाहते हैं। आगे क्या होगा इसकी कोई जल्दबाजी नहीं रह जाती। अभी जो हो रहा है आप उसी में थमे रह जाते हैं। जल्दबाजी की इस दुनिया का एकदम शान्त सा प्रतिरोध है फाइन्डिंग फैनी।

दीपिका पादुकोण, ऐंजी के किरदार को इतनी खूबसूरती से निभाती हैं कि आपको उस किरदार से प्यार हो जाता है, नसीरुद्दीन शाह ने फर्डी को इतना आत्मीय बना दिया है कि जब वो खराब पड़ी गाड़ी के लिये तेल लाने के लिये जरकीन पकड़े गाड़ी का इन्तज़ार कर रहा होता है तो एक बार के लिये रोजी के साथ-साथ आपको भी डर लगने लगता है कि उसे अकेले कैसे जाने दें ? डिंपल कपाडि़या, पंकज कपूर और अर्जुन कपूर भी अपने-अपने किरदारों को क्या खूबसूरती से निभाते हैं। किरदार इतने अच्छी तरह बुने गये हैं कि एक बार के लिये कहानी की कमियों को आप भूल ही जाते हैं।

होमी अदजानिया निर्देशित ये फिल्म उस दो सौ-चार सौ करोड़ के फिल्मी तमाशे को सिरे से नकार देती है। ये स्टार कास्ट और तकनीकी ताम-झाम से उपजने वाले फर्जी सिनेमाई चमत्कार की दुनिया से बाहर लौटने के लिये कहती एक फिल्म है।

इसे देखना दिल्ली या मुम्बई में रह रहे व्यस्त लोगों का अपने छोटे-छोटे कस्बों में लौटना है जहां सपने भले ही बड़े-बड़े न पलते हों पर जि़न्दगी बड़ी होती है। जहां का भूगोल भले ही छोटा हो पर जीवन का फलक बड़ा होता है।

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One thought on “Finding Fanny movie : अधूरी होकर भी मुकम्मल दुनिया

  1. सर जी नमस्कार।।आप तो कलम के जादुगर हो।।कितनी आत्मीयता से आप लिखते हो।।हिन्दी मे लिख के आप मेरे जैसे लोगो का भला कर रहे हो।।आपके यात्रा वृतांत और खास कर फिल्म समिक्षा बेहद उच्च कोटि की है।।

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