ये रही ईरानी निर्देशक माजिद माजिदी की 2 कमाल की फ़िल्में

Still from Majid Majidi movies children of heaven

Last Updated on: 16th July 2025, 08:12 am

इस बीच माजिद माजिदी की दो फ़िल्में (Majid majidi movies) देखने को मिली। चिल्ड्रन आफ हैवन और कलर्स ऑफ़ पैराडाइज़

माजिद माजिदी की फ़िल्में एक अलग संसार रचती हैं। गाँवों का संसार, भावनाओं का संसार और अदभुत प्राकृतिक और मनोवैज्ञानिक सुन्दरता का संसार। इन दो ही फ़िल्मों ने इस ईरानी निर्देशक के प्रति एक अजीब सा आकर्षण जेहन में पैदा किया है। कोई निर्देशक कितनी गहराई से अभावों के बीच से उपजते मनोवैज्ञानिक द्वंद्व को समझ सकता है, और बेहतर तरीके से समझा सकता है ये माजिद की फ़िल्मों को देखकर समझा जा सकता है।

मानवीय सम्बन्धों और भावनाओं की माला को एक बेहद सरल, संक्षिप्त कथावस्तु में पिरोकर बनी ये फ़िल्में एक अलग दार्शनिक जगत की सैर करा देती हैं। यहां नदी की धाराएं महज धाराएं नहीं हैं, एक प्रवाह हैं जिसमें जीवन उतरता चढ़ता सा बस बहता हुआ मालूम होता है। चिडियों की आवाज़ जैसे आपके हमारे दिल की आवाज हो जिसे चित्रों ने समझकर कह दिया हो ।

चिल्ड्रन आफ हैवन (Children of heaven – Majid Majidi movies)

Children of heaven majid majidi

चिल्ड्रन आफ हैवन (Children of Heaven) एक बच्चे अली और उसकी बहन की कहानी है जिनकी दुनिया अभावों की दुनिया है। और आश्चर्यजनक रुप से वो अभाव के इस अर्थशास्त्र को इतनी छोटी सी उम्र में वो बखूबी समझते हैं। दोनों स्कूल में पढ़ते हैं और गरीबी का आलम ये है कि दोनों के पास पहनने के लिऐ एक ही जोड़ा जूता है। जिसे अली सुबह की पाली और उसकी बहन शाम की पाली में पहनकर गुज़ारा कर लेते हैं।

दोनों के बीच एक ग़ज़ब की समझ है, एक जिम्मेदारी की भावना जो उस जूते को समय पर दोनों के लिए उपलब्ध करा देती है। एक जोड़ी जूता जो एक बार नाली में बह जाता है जैसे जूता ना बहा हो ज़िंदगी के बीच की कोई कड़ी बह गई हो। अभाव हर छोटी चीज के महत्व को वास्तविकता से कई गुना बड़ कर देता है। कहानी का अंत गजब आकर्षक है। एक रेस प्रतियोगिता में अली भाग लेता है जिसमें तीसरा पुरस्कार एक जोड़ी जूता है।

अली रेस में भाग लेना चाहता है लेकिन भाग लेने का समय बीत चुका है। वह रो पीटकर प्रतियोगिता में खुद को शामिल करवा लेता है। रेस शुरु होती है। अली जान लगाकर दौड़ता है और तीसरे नम्बर पर पहुचता है लेकिन रेस खत्म होने से ठीक पहले कुछ ऐसा होता है कि वह रेस में पहला स्थान पा जाता है। वह रेस जीत जाता है पर उसे लगता है कि जैसे वह सब कुछ हार गया है। वो वह जूता नहीं जीत पाया जिसे उसने अपनी बहन को उपहार में देने का वायदा किया है। जैसे जीतने के बाद भी वह ज़िंदगी की एक की एक बड़ी सम्भावित खुशी हार गया हो।

कहानी की कथावस्तु महज इसी जूते के इर्द गिर्द सिमटी है लेकिन उसके कथ्य में इतना विस्तार है कि उसमें डूबते हुए अपलक फ्रेम दर फ्रेम नई और ताजी भावनाओं की दुनिया से आप जुड़ते चले जाते हैं।

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कलर्स आफ पैराडाईस (Colors of paradise – Majid Majid movies)

Color of paradise by majid majidi

दूसरी फ़िल्म कलर्स आफ पैराडाइस (Colors of paradise) एक अंधे बच्चे की कहानी है। जिसका पिता एक कमजोर इच्छाशक्ति का आदमी है। उसे डर है कि एकमात्र अंधे लड़के के बूते उसके बुढ़ापे का गुजारा नहीं हो पाएगा। उसकी पत्नी नही है। वह अपने बच्चे को एक बोझ के रुप में देखता है। पहले वह बच्चे को एक अन्धों के स्कूल में दाखिल करवा देता है और उसे छुट्टियों में भी घर वापस नही लाना चाहता।

अपनी माँ की ज़िद पर वह बच्चे को घर तो लाता है लेकिन कुछ ही समय बाद उसे किसी व्यक्ति के घर में छोड़ आता है जो खुद अन्धा है। बच्चा इस तिरस्कार को समझ रहा है। वह जान रहा है कि उसका पिता उसे इसलिए तिरस्कृत कर रहा है क्योंकि वह अंधा है। और यह बोध उसे एक हर वक्त सालता रहता है।

इस बच्चे की अपनी एक अलग दुनिया है। वह चिड़ियों की भाषा समझता है उनके दुख को समझता। उनकी असहायता को खुद से जोड़कर देखता है। दूसरी ओर उसका पिता इस फिराक में खुद से जूझता रहता है कि एक ऐसी औरत उसे मिल जाये जो उसके बुढ़ापे का सहारा बने।

वह अपने लिए एक औरत को पसन्द भी कर लेता है और शादी की बात भी तय हो जाती है। लेकिन उसकी माँ नहीं चाहती कि वह शादी करे। इसी बात पर उसकी माँ घर छोड़कर जाने लगती है। वह पहले तो माँ को जाने देता है लेकिन अचानक उसका पुत्र बोध जागता है और वह माँ को मनाने चला जाता है। माँ वापस तो आ जाती है लेकिन कुछ ही समय में उसकी मौत हो जाती है। दूसरी ओर उस औरत के पिता शा दी के लिए मना कर देते हैं जिसे ना जाने कितने समय से वह अपनी विवाहिता बनाने के सपने देख रहा है।

उसके जीवन से जैसे कोई आधार छिन सा जाता है। वह जैसे बेसहारा हो जाता है। अब उसे अपना बच्चा याद आता है। वह उसे वापस लेने जाता है और वापस आते हुए जब वो एक पुल से गुजर रहे होते हैं तो पुल टूट जाता है और बच्चा नदी में गिर जाता है। बच्चा नदी में बह रहा होता है औ उसकी सांसें जैसे जर्रा जर्रा बच्चे के साथ उसी नदी की धारा में घुलती चली जाती हैं वो जैसे तैसे डूबते बचते बच्चे तक पहुंच जाता है और बच्चा अचेत हो चुका होता है।

वह बच्चे को अपनी छाती से लगाये विलाप कर रहा होता है कि अचानक बच्चे की उंगलियों में हरकत होती है। जैसे यह हरकत ज़िंदगी की वो खुशी, जीने का वो आधार हो जिसके लिये सब कुछ लुटाया जा सकता है।

माजिद मजीदी की ये दोनों फ़िल्में (majid majidi movies) ईरानी सिनेमा की डॉ बेहतरीन फ़िल्में हैं जो बताती हैं कि काम बजट और सादगी से भी अच्छी फ़िल्में कैसे बन सकती है।

2 thoughts on “ये रही ईरानी निर्देशक माजिद माजिदी की 2 कमाल की फ़िल्में

  1. उमेश, दोनों ही मेरी पसंदीदा फिल्में हैं और तुमने बहुत ही खूबसूरत समीक्षा की है दोनों की.मेरी साढ़े पांच साल की बेटी चिल्ड्रन आफ हैवन कम से कम 15 बार देख चुकी है। खेल-खेल में वह खुद़ को ज़ारा और अपने डेढ़ साल के भाई को अली कहने लगती है। तुम्हारा ब्लॉग बहुत अच्छा है, कोशिश करूंगी नियमित तौर पर आने की।

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