डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मभूत के प्रकोप से मुक्ति की सच्ची कहानीनिलिता वचानी एक जानी मानी डाक्यूमेंट्री फिल्म मेकर हैं ये बात कल उनकी फिल्मों के अंश देखते और उन पर… byUmesh Pant
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मलाशों से कफन बीनने वालों पर बनी फिल्म को नैशनल अवार्डजामिया के मासकम्यूनिकेशन रिसर्च सेन्टर में साउन्ड के लेक्चरार मतीन अहमद को फिल्म चिल्ड्रन आफ पायर की साउन्ड डिजाइनिंग के… byUmesh Pant
इंडियन मूवीज़एक बेजुबान आक्रोश – Aakrosh film reviewसारे आक्रोश (Aakrosh film review) महज एक दुर्घटना बनकर समाप्त हो जाते हैं। ये आक्रोश भी कुछ ऐसा ही था।… byUmesh Pant
इंडियन मूवीज़एक बवंडर से उठी फिल्म – Bawandar Movie reviewराजस्थान के भंवरी देवी केस (Bhanwari Devi case) को शायद आप अब तक न भूले हों। 1992 में राजस्थान की… byUmesh Pant
फ़ॉरेन मूवीज़डेज़ आफ हैवन यानि खूबसूरती के पल – Days of heaven film reviewडेज़ ऑफ़ हैवन ( Days of heaven film) उन कमाल की फिल्मों से एक है जिन्हें आप चाहें तो बस… byUmesh Pant
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मलगत जोबनवा मा चोट को खोजती एक फिल्म;लगत जोबनुवा में चोट, फूल गेंदवा न मार’। ये शब्द फिर गाये नहीं गये। ठुमरी के ये बोल कहीं खो… byUmesh Pant
फ़ॉरेन मूवीज़युद्व के उन्माद और क्रूरता की भयावह कहानी है सोल्जर ब्लू – Soldier Blue Movie reviewयुद्व का उन्माद कितना विभत्स, कितना भयावह और अमानवीय हो सकता है यह Ralph Nelson निर्देशित फ़िल्म सोल्जर ब्लू (Soldier… byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवलखरगोश ओसियान में अव्वलसोने जा ही रहा था कि एक सूचना मिली। सूचना बड़ी अच्दी लगी तो सोचा आपको बता ही डालूं। खरगोश… byUmesh Pant
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मकौन हैं सुपरमैन ऑफ़ मालेगाँव जिनपर बन गई डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म- Superman of Malegaon reviewवे फ़ैज़ नहीं हैं फ़ैज़ा हैं इसलिए उनका अंदाज़े-बयाँ अलहदा है। फ़ैज़ शब्दों से अपनी बात कहते थे फ़ैज़ा (… byUmesh Pant
फ़िल्म फ़ेस्टिवलओसियान का दूसरा दिनओसियान फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन आज तीन फिल्में देखी। तेजा, मैन वूमेन एंड अदर स्टोरीज और ब्लाईंड पिग हू… byUmesh Pant